पहली बार राफेल जेट का फ्यूजलेज भारत में बनेगा। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और डसॉल्ट की साझेदारी से रक्षा निर्माण को मिलेगा नया मुकाम। जानें पूरी जानकारी।

टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और डसॉल्ट के बीच प्रोडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन ने मिलकर चार प्रोडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत अब राफेल फाइटर जेट का फ्यूजलेज (मुख्य ढांचा) भारत में तैयार किया जाएगा। यह पहली बार है जब राफेल का फ्यूजलेज फ्रांस से बाहर बनाया जा रहा है। इस साझेदारी के तहत डसॉल्ट, हैदराबाद स्थित टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के संयंत्र में एक आधुनिक निर्माण इकाई स्थापित करेगी, जहां राफेल के प्रमुख हिस्सों – जैसे रियर फ्यूजलेज के लैटरल शेल्स, पूरा रियर सेक्शन, और सेंट्रल व फ्रंट फ्यूजलेज – का निर्माण किया जाएगा।
वर्तमान में भारतीय वायुसेना 36 राफेल विमानों का संचालन कर रही है। इसी वर्ष अप्रैल में भारत और फ्रांस के बीच हुए 63,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत, भारतीय नौसेना को 2030 तक 26 राफेल मरीन जेट्स मिलेंगे। राफेल जेट्स न केवल भारत और फ्रांस, बल्कि मिस्र, कतर, क्रोएशिया और सर्बिया जैसे देशों में भी तैनात हैं।
भारत के रक्षा उत्पादन तंत्र की ताकत
भारत का रक्षा उत्पादन तंत्र बहुत मजबूत और विविध है, जिसमें शामिल हैं:
- 01 रक्षा अनुसंधान संस्थान (डीआरडीओ)
- 41 ऑर्डनेंस फैक्ट्रियां
- 09 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (DPSUs)
- 100 से ज्यादा निजी कंपनियां
एयरक्राफ्ट का फ्यूजलेज क्या होता है?
नासा के अनुसार, फ्यूजलेज यानी विमान का मुख्य ढांचा होता है, जो एक लंबी खोखली नली की तरह होता है और विमान के सभी हिस्सों को जोड़े रखता है। इसे हल्का और मजबूत बनाने के लिए अंदर से खाली रखा जाता है। फ्यूजलेज का आकार विमान के काम पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, तेज उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमान का फ्यूजलेज पतला और तंग होता है ताकि हवा का दबाव कम हो, जबकि यात्री विमान का फ्यूजलेज चौड़ा होता है ताकि ज्यादा लोग बैठ सकें। लड़ाकू विमान में कॉकपिट (पायलट की जगह) ऊपर होता है, हथियार पंखों पर लगे होते हैं, और इंजन व ईंधन पीछे के हिस्से में रहते हैं। वहीं, यात्री विमान में पायलट सामने बैठता है, और पीछे यात्री और सामान रखे जाते हैं। पूरे विमान का वजन इस ढांचे पर होता है, इसलिए फ्यूजलेज विमान की मजबूती और संतुलन के लिए बहुत जरूरी है।
2028 से हर महीने दो फ्यूजलेज तक की डिलीवरी होगी
2028 से फ्यूजलेज बनना शुरू हो जाएंगे और हर महीने दो फ्यूजलेज तक की सप्लाई संभव होगी। डसॉल्ट के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रापियर ने कहा कि यह भारत में हमारी सप्लाई चेन को मजबूत करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। टाटा एडवांस्ड के साथ हमारे स्थानीय पार्टनर्स के बढ़ने से हम अच्छी क्वालिटी और प्रतिस्पर्धा के उच्च स्तर को बनाए रखते हुए उत्पादन को तेजी से बढ़ा पाएंगे। वहीं, टाटा एडवांस्ड के सीईओ सुकरण सिंह ने बताया कि यह साझेदारी भारत की एयरोस्पेस इंडस्ट्री के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। भारत में राफेल फ्यूजलेज का पूरा निर्माण हमारी क्षमताओं पर भरोसा और डसॉल्ट के साथ मजबूत साझेदारी को दर्शाता है।
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भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा उद्योग की ताकत
यह साझेदारी भारत की रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगी और देश को दुनिया के एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में एक अहम जगह दिलाएगी। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स का यह कदम भारत की मेक इन इंडिया योजना को मजबूत करेगा और देश की कंपनियों को नई तकनीक से लैस करेगा। इससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता बेहतर होगी, जिससे देश की सुरक्षा और मजबूत होगी और लोगों को नए रोजगार भी मिलेंगे। यह प्रोजेक्ट भारत की ताकत बढ़ाने के साथ-साथ रक्षा सामान का निर्यात करने में भी मदद करेगा।