बक मून और उल्का वर्षा 2025 जुलाई के आसमान को खास बनाने वाले हैं। इस महीने चंद्रमा के कई अनोखे रूप दिखाई देंगे, वहीं रात के अंधेरे में टूटते तारों की उल्का बौछार भी नजर आएगी। वैज्ञानिकों के अनुसार, ये घटनाएं न केवल देखने में अद्भुत होती हैं बल्कि इनके पीछे दिलचस्प विज्ञान और परंपराएं भी जुड़ी होती हैं। जानिए कब और कहां देख सकते हैं बक मून और डेल्टा एक्वेरिड उल्का वर्षा का यह खूबसूरत खगोलीय नज़ारा।

- जुलाई की पूर्णिमा को ‘बक मून’ कहा जाता है।
- 29 और 30 जुलाई को डेल्टा एक्वेरिड उल्का बौछार देखने को मिलेगी।
- 16 जुलाई को चांद शनि के पास दिखाई देगा।
- 21 जुलाई को चांद शुक्र ग्रह के साथ नजर आएगा।
बक मून और उल्का वर्षा 2025: जुलाई की रातों में टूटते तारे और खास चंद्रमा का दिखेगा अद्भुत संगम
जुलाई में कई रोचक खगोलीय घटनाएं देखने को मिलेंगी। 29 और 30 जुलाई को डेल्टा एक्वेरिड उल्का बौछार होगी, जिसमें कई तारे टूटते हुए नजर आएंगे। इसके अलावा, चंद्रमा कई ग्रहों के पास दिखाई देगा। 16 जुलाई को चंद्रमा शनि के पास होगा, 21 को शुक्र के पास, 23 को बृहस्पति, 25 को बुध और 28 जुलाई को मंगल के पास नजर आएगा। 3 जुलाई को पृथ्वी, सूर्य से सबसे ज्यादा दूरी पर होगी, जिसे खगोल विज्ञान में “अपसौर” कहा जाता है। 10 जुलाई को पूर्णिमा है। इस दिन का चंद्रमा कुछ खास नामों से भी जाना जाता है, जैसे — फेदर मोल्टिंग मून, सैल्मन मून और बक मून।
जवाहर तारामंडल की वैज्ञानिक सुरूर फातिमा के अनुसार, जुलाई के महीने में नर हिरणों के सींग तेजी से बढ़ते हैं, इसी वजह से इस महीने की पूर्णिमा को ‘बक मून’ कहा जाता है। इसे ‘फेदर मोल्टिंग मून’ और ‘सैल्मन मून’ भी कहा जाता है क्योंकि इस समय पक्षियों के पंख झड़ने लगते हैं और सैल्मन मछलियां प्रजनन के लिए नदियों की ओर लौटती हैं।
इसके अलावा जुलाई के पूर्ण चंद्रमा को ‘थंडर मून’ और ‘हे मून’ भी कहते हैं क्योंकि यह समय बारिश और तूफानों का होता है, साथ ही खेतों में घास काटने का मौसम भी होता है। यूरोप में इस पूर्णिमा को ‘मीड मून’ भी कहा जाता है क्योंकि इसी समय शहद से मादक पेय (मीड) बनाने की परंपरा है।
आसमान में चंद्रमा के चारों ओर दिखाई देने वाला रंगीन चक्र (जिसे चाप कहते हैं) हर महीने थोड़ा बदलता रहता है। जुलाई की पूर्णिमा पर यह चाप अन्य महीनों की तुलना में थोड़ा छोटा दिखाई देता है। इसे ‘स्पर्श रेखा चाप’ कहते हैं। यह एक खास प्रकाशीय घटना होती है, जो तब बनती है जब सूर्य या चंद्रमा की रोशनी बर्फ के क्रिस्टलों से टकराकर अपवर्तित होती है। यह चाप आमतौर पर क्षैतिज (सिधा) रूप में नजर आता है।
इस महीने की अमावस्या 24 जुलाई को होगी, जिसे खगोलशास्त्री ‘नया चांद’ कहते हैं।
डेल्टा एक्वेरिड उल्का बौछार: कब और कहां दिखेगी
जवाहर तारामंडल की वैज्ञानिक सुरूर फातिमा के अनुसार, डेल्टा एक्वेरिड उल्का बौछार हर साल जुलाई के मध्य में शुरू होती है और अगस्त के अंत तक चलती है। इस साल यह उल्का बौछार 12 जुलाई से 23 अगस्त के बीच देखी जा सकेगी।
उत्तरी गोलार्ध (जैसे भारत) में 29 और 30 जुलाई की रात को अगर आसमान साफ रहा, तो यह खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। यह उल्काएं “कुंभ” राशि के तारों के बीच से आती हुई दिखेंगी। बता दें कि राशियां दरअसल तारों के समूह होते हैं, जिनके आधार पर खगोलीय घटनाओं को पहचाना जाता है।
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