नक्षत्र: आईसीएमआर का कंप्यूटिंग क्लस्टर बीमारियों के फैलाव को रोकने में सहायक होगा।

नक्षत्र: आईसीएमआर का कंप्यूटिंग क्लस्टर बीमारियों के फैलाव को रोकने में सहायक होगा। 24 से 48 घंटे में हो सकेगी जीनोम सीक्वेंसिंग, नई बीमारियों का खतरा भी समय रहते पहचाना जा सकेगा।


नक्षत्र: आईसीएमआर का कंप्यूटिंग क्लस्टर बीमारियों के फैलाव को रोकने में सहायक होगा।
आईसीएमआर का नक्षत्र एचपीसी जीनोमिक निगरानी को नई ताकत देता है और महामारी से निपटने की क्षमता बढ़ाता है।

Highlight

  • नक्षत्र’आईसीएमआर का कंप्यूटिंग क्लस्टर बीमारियों को समय रहते पहचानने में मदद करेगा
  • अब जीनोम सीक्वेंसिंग 24-48 घंटे में पूरी हो सकेगी
  • भारत की जीनोमिक निगरानी प्रणाली को मिलेगा बूस्ट
  • AI आधारित वैक्सीन और दवा विकास में होगा उपयोग

 

नक्षत्र: आईसीएमआर का कंप्यूटिंग क्लस्टर बीमारियों के फैलाव को रोकने में सहायक

नक्षत्र: आईसीएमआर का कंप्यूटिंग क्लस्टर अब बीमारियों के फैलने की जानकारी पहले ही देने में सक्षम होगा। भारत ने हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) क्लस्टर ‘नक्षत्र’ तैयार किया है। यह भारत का पहला ऐसा सिस्टम है जो वायरस से जुड़े रिसर्च में काम आएगा। नक्षत्र’आईसीएमआर का कंप्यूटिंग क्लस्टर जीनोम डेटा का जल्दी से विश्लेषण करके बीमारियों को रोकने में मदद करेगा। यह नए रोगों के खतरे का समय रहते पता लगाने में भी सक्षम है।

नक्षत्र: जीनोमिक और बायो-इन्फॉर्मेटिक्स डेटा प्रोसेसिंग में बड़ा बदलाव

राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. नवीन कुमार ने गुरुवार को बताया कि नक्षत्र’आईसीएमआर का कंप्यूटिंग क्लस्टर का मकसद जीनोमिक और बायो-इन्फॉर्मेटिक्स डाटा को प्रोसेस करने के तरीके में बड़ा बदलाव लाना है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के समय पुराने कंप्यूटर सिस्टम की वजह से कई दिक्कतें आई थीं, जिससे इसके गंभीर असर झेलने पड़े थे। ‘नक्षत्र’ में इन कमियों को दूर करने की कोशिश की गई है।

डॉ. कुमार ने बताया कि आजकल कोविड के नए वैरिएंट लगातार सामने आ रहे हैं। पहले कम संसाधनों की वजह से लाखों जीनोम की सीक्वेंसिंग का विश्लेषण करने में काफी वक्त लगता था। कई बार किसी वैरिएंट की पूरी जांच में महीनों लग जाते थे। लेकिन अब नक्षत्र’आईसीएमआर का कंप्यूटिंग क्लस्टर वही काम 24 से 48 घंटे में कर सकता है।

अब हमारे देश की जीनोमिक निगरानी की ताकत बढ़ गई है, जो हमें आने वाली महामारियों से लड़ने में मदद करेगी।

डॉ. कुमार ने कहा कि नक्षत्र: आईसीएमआर का कंप्यूटिंग क्लस्टर की शुरुआत सिर्फ तकनीक में सुधार नहीं है, बल्कि यह देश की तैयारी, रफ्तार और सटीकता के लिए एक बड़ा कदम है। यह केंद्र जटिल जीनोम डाटा का जल्दी विश्लेषण करके भारत को नई बीमारियों का खतरा समय पर पहचानने, प्रकोप से बेहतर तरीके से निपटने और एआई आधारित वैक्सीन और दवाओं के विकास में मदद करेगा।

शुरुआत में यह केंद्र देशभर के पांच आईसीएमआर संस्थानों के लिए डेटा सीक्वेंसिंग का केंद्रीय भंडार (सेंट्रल डिपॉजिटरी) बनेगा। आगे चलकर यह वायरल रिसर्च और डायग्नोस्टिक लैब्स (वीआरडीएल) को भी सहयोग देगा।

नया एचपीसी क्लस्टर: जीनोमिक रिसर्च में अहम भूमिका

बायोइन्फॉर्मेटिक्स और डेटा मैनेजमेंट ग्रुप की प्रमुख और इस परियोजना की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सारा चेरियन ने बताया कि नया एचपीसी क्लस्टर जीनोमिक रिसर्च में अहम भूमिका निभाएगा। इसमें 12 कंप्यूट नोड्स हैं, जो कुल 700 कोर और एक पेटाबाइट स्टोरेज की सुविधा देते हैं। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत तैयार किया गया यह हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) केंद्र ‘हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) हब’ नाम की नई परियोजना की नींव है।

इस कंप्यूटिंग क्लस्टर का उद्घाटन पिछले महीने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने किया था।

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