Arsia Mons: जानिए मंगल ग्रह का वो ज्वालामुखी जो एवरेस्ट से भी बड़ा है। यह विशाल ज्वालामुखी मंगल ग्रह के दक्षिणी हिस्से पर स्थित है। लगभग 65,616 फीट ऊंचा Arsia Mons ज्वालामुखी पृथ्वी के सबसे ऊंचे मौना लोआ को भी मात देता है, जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 9 किलोमीटर तक है।

Arsia Mons ज्वालामुखी करीब 450 किलोमीटर चौड़ा है।
यह न सिर्फ एक बहुत बड़ा ज्वालामुखी है, बल्कि मंगल के मौसम को समझने में वैज्ञानिकों के लिए एक अहम सुराग भी है। वेगिस कैमरा के मुख्य ऑपरेटर जोनाथन हिल ने बताया कि हमने जानबूझकर इस ज्वालामुखी को चुना था, ताकि उसका शिखर बादलों से ऊपर दिखाई दे सके — और बिल्कुल वैसा ही नज़ारा हमें देखने को मिला, जैसा हम उम्मीद कर रहे थे।
🌋 दुनिया के सबसे ऊंचे ज्वालामुखी:
1. मौना लोआ
📍 स्थान: हवाई, अमेरिका
⛰️ ऊंचाई: 30,085 फीट
2. हालेआकाला (Haleakalā)
📍 स्थान: हवाई, अमेरिका
⛰️ ऊंचाई: 30,000 फीट
3. टीडे (Teide)
📍 स्थान: कैनरी द्वीप, स्पेन
⛰️ ऊंचाई: 24,606 फीट
4. पिटोन दे नेज (Piton des Neiges)
📍 स्थान: रीयूनियन द्वीप, फ्रांस
⛰️ ऊंचाई: 23,199 फीट
5. ओजोस डेल सलाडो (Ojos del Salado)
📍 स्थान: अर्जेंटीना/चिली सीमा
⛰️ ऊंचाई: 22,615 फीट

नासा के 2001 मार्स ओडिसी ऑर्बिटर ने मंगल ग्रह की एक शानदार तस्वीर भेजी है, जिसमें विशाल Arsia Mons ज्वालामुखी सफेद बादलों की परत को चीरता हुआ दिखाई दे रहा है। यह पहली बार है जब मंगल के किसी ज्वालामुखी को इस तरह क्षितिज पर साफ तौर पर कैमरे में कैद किया गया है। यह नज़ारा 2 मई को रिकॉर्ड किया गया था।
मंगल के दक्षिणी हिस्से में स्थित Arsia Mons की ऊंचाई लगभग 65,617 फीट है। यह पृथ्वी के सबसे ऊंचे ज्वालामुखी मौना लोआ से भी ऊंचा है। इस नई तस्वीर में ज्वालामुखी का ऊपरी हिस्सा बादलों से ऊपर निकलता हुआ नजर आ रहा है।
जब मंगल अपने एप्हीलियन यानी सूरज से सबसे दूर वाले स्थान पर था, तब उसके भूमध्यरेखा के पास मोटे बादलों की एक लंबी पट्टी बन गई, जिसे “एप्हीलियन क्लाउड बेल्ट” कहा जाता है। यह बादल इस तस्वीर में भी साफ दिखाई दे रहे हैं।
इस खास नज़ारे को कैद करने के लिए मार्स ओडिसी ऑर्बिटर ने अपनी सामान्य दिशा से हटकर खुद को 90 डिग्री घुमा लिया। इससे उसका THEMIS कैमरा, जो आम तौर पर नीचे मंगल की सतह की गर्मी मापता है, क्षितिज यानी दूर सीधी रेखा की ओर देखने लगा और यह शानदार दृश्य रिकॉर्ड कर पाया।
इस तस्वीर से वैज्ञानिकों को मंगल के मौसम और बादलों को बेहतर समझने में मदद मिल रही है।
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